प्रकृति पर्यावरण और जल
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प्रकृति प्रेम की अलख जलाना
भारतवासी भूल न जाना।
नहीं करना प्रकृति का दोहन
होता इससे ख़ुद का शोषण
पेड़ झूम – झूम कर बुलाते
नभ में तब हैं बादल छाते
नीर – सुधा से फ़सलें हँसती
कलकल करतीं नदियाँ बहतीं
ज्ञान बात सबको बतलाना
भारतवासी भूल न जाना।
खोलना है गर कारख़ाना
देखो विषाणु मत फैलाना
ताल-तलैया मत करना दूषित
हो जाती है हवा संक्रमित
रोको यह बढ़ती आबादी
करती यह अपनी बर्बादी
जन- जन को आभास कराना
भारतवासी भूल न जाना।
जल संकट है भीषण भारी
विश्व -युद्ध को करता जारी
एक – एक बूँद है बचानी
यही चेतना होगी लानी
धरती देखो तपती जाती
सूखे का संकट यह लाती
एक काटो तरु,दस लगाना
भारतवासी भूल न जाना।
तुम जागोगे,जग जागेगा
तो बीमारी दूर भागेगा
इक दिन ऐसा भी आएगा
जीना आसां हो जाएगा
प्रकृति,पर्यावरण, जल संचय
रखना इनको है नित अक्षय
संकल्प ये करना – कराना
भारतवासी भूल न जाना।
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