मुक्ति का गीत
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वहशियों के नगर में रहना
है नित काँटों पर चलना
अब कोई कृष्ण नहीं आएगा
केवल दुर्योधन दांव लगाएगा
अपनी अस्मत के बन रक्षक
लड़ जाएँ उनसे जो बनते भक्षक
देख लिया जी कर औरों के लिए
समय आया अब जीएँ स्वयं के लिए
हमारे अस्तित्व पर लगता सवाल
हर सवाल पर उठता बवाल
ज्वलंत अवरोधों पर बहस छोड़ के
हम बन गए विषय विमर्श के
यक्ष प्रश्नों पर लगा कर विराम
छद्म वायदों से वो कमा रहे नाम
कर्ता है अंततः छलता
विश्वास का पर्दा तार - तार करता
लगा लो चाहे जितनी ईश्वर से गुहार
द्रौपदी का चीर अब नहीं पाता विस्तार
तो अब सक्षम और समर्थ बन जाएँ
हर विपदा का खुद ही हल बन जाएँ
तोड़ कर सारी वर्जनाएँ
मुक्ति का गीत गाएँ
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वहशियों के नगर में रहना
है नित काँटों पर चलना
अब कोई कृष्ण नहीं आएगा
केवल दुर्योधन दांव लगाएगा
अपनी अस्मत के बन रक्षक
लड़ जाएँ उनसे जो बनते भक्षक
देख लिया जी कर औरों के लिए
समय आया अब जीएँ स्वयं के लिए
हमारे अस्तित्व पर लगता सवाल
हर सवाल पर उठता बवाल
ज्वलंत अवरोधों पर बहस छोड़ के
हम बन गए विषय विमर्श के
यक्ष प्रश्नों पर लगा कर विराम
छद्म वायदों से वो कमा रहे नाम
कर्ता है अंततः छलता
विश्वास का पर्दा तार - तार करता
लगा लो चाहे जितनी ईश्वर से गुहार
द्रौपदी का चीर अब नहीं पाता विस्तार
तो अब सक्षम और समर्थ बन जाएँ
हर विपदा का खुद ही हल बन जाएँ
तोड़ कर सारी वर्जनाएँ
मुक्ति का गीत गाएँ
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