असर यूँ हुआ
ख्वाब - ए - इश्क रंगीन सजते रहे
हम मोम की तरह पिघलते रहे
चंद मुलाकातों का असर यूँ हुआ
कि खुद से खुद को हम तलाशने लगे ।
थमता नहीं जीवन में जलजला
जाने कैसे शुरू हुआ यह सिलसिला
उनसे दिल लगाने का असर यूँ हुआ
कि अपने भी बेगाने लगने लगे ।
साहिल की मानिंद हम तटस्थ रहे
लहरों की भाँति वह आते - जाते रहे
सागर तट पर रहने का असर यूँ हुआ
कि हर तूफ़ान को हम गले लगाने लगे ।
सरे बाज़ार भी तन्हाइयाँ साथ चलतीं
पहाड़ सी रातें काटे नहीं कटतीं
गुमसुम सा रहने का असर यूँ हुआ
कि इशारों - इशारों में लोग बतियाने लगे ।
अजीब सी खुमारी आँखों में छाने लगी
सुर्ख़ पत्तों में हरियाली आने लगी
चेहरे के बदलते रंगों का असर यूँ हुआ
कि शहर की सुर्खियाँ हम भी बनने लगे ।
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