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Monday, 6 May 2013


  असर यूँ हुआ 

ख्वाब - ए - इश्क रंगीन सजते रहे 
हम मोम की तरह पिघलते रहे 
चंद मुलाकातों का असर यूँ  हुआ
 कि खुद  से  खुद  को  हम  तलाशने लगे  ।

थमता नहीं जीवन में जलजला 
जाने कैसे शुरू हुआ यह सिलसिला 
उनसे दिल लगाने का असर यूँ हुआ 
कि अपने भी बेगाने लगने लगे ।

साहिल की मानिंद हम तटस्थ रहे 
लहरों की भाँति वह आते - जाते रहे 
सागर तट पर रहने का असर यूँ हुआ 
कि हर तूफ़ान को हम गले लगाने लगे ।

सरे बाज़ार भी तन्हाइयाँ साथ चलतीं 
पहाड़ सी रातें  काटे नहीं कटतीं 
गुमसुम सा रहने का असर यूँ हुआ 
कि  इशारों - इशारों में लोग बतियाने लगे ।

अजीब सी खुमारी आँखों  में   छाने लगी 
सुर्ख़ पत्तों में हरियाली आने लगी 
चेहरे के बदलते रंगों का असर यूँ हुआ 
कि शहर की सुर्खियाँ हम भी बनने लगे ।

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