मानव - चित्र
इन ईंट के पक्के मकानों में
दरीचों से झाँकती धूप
स्वर्ण उजालों सी करती हैं जगमग
मलमली गलीचों में
दूब सी नर्माहट
बेहद भली लगतीं हैं ।
विशाल फूलदानों में
रंग - बिरंगे फूल
नैसर्गिक छटा बिखेरते हैं ।
दीवारों के खूबसूरत कैनवस
पर अपनों के चित्र
आत्मीय अहसास देते हैं ।
सब कुछ तो है इस पुख्ता मकान में
कुछ नहीं है तो बस
उन रिश्तों की गर्माहट जो
एक चित्र में क़ैद हो रह गयी है ।
भरे - पूरे घर में हर कोई
एकाकी जीवन जी रहा है
एक - दूसरे से बेखबर
अपने ही बुने जाल में फंसा
अनजाना सा गिरह काटता हुआ ।
दीवारों की कलात्मकता में सुशोभित है
आंसू बहाता एक मानव - चित्र
लोग कहते हैं कि यह पेंटिंग
इस घर की शोभा बढ़ा देता है
वह इसलिए कि वास्तविकता
सदैव सराही जाती है ।
घर की बेजुबां होती
भावहीन रिश्तों की कहानी
यही दर्शाता है
बाकी सब बेमाने हैं
खोखले हैं ।
इन ईंट के पक्के मकानों में
दरीचों से झाँकती धूप
स्वर्ण उजालों सी करती हैं जगमग
मलमली गलीचों में
दूब सी नर्माहट
बेहद भली लगतीं हैं ।
विशाल फूलदानों में
रंग - बिरंगे फूल
नैसर्गिक छटा बिखेरते हैं ।
दीवारों के खूबसूरत कैनवस
पर अपनों के चित्र
आत्मीय अहसास देते हैं ।
सब कुछ तो है इस पुख्ता मकान में
कुछ नहीं है तो बस
उन रिश्तों की गर्माहट जो
एक चित्र में क़ैद हो रह गयी है ।
भरे - पूरे घर में हर कोई
एकाकी जीवन जी रहा है
एक - दूसरे से बेखबर
अपने ही बुने जाल में फंसा
अनजाना सा गिरह काटता हुआ ।
दीवारों की कलात्मकता में सुशोभित है
आंसू बहाता एक मानव - चित्र
लोग कहते हैं कि यह पेंटिंग
इस घर की शोभा बढ़ा देता है
वह इसलिए कि वास्तविकता
सदैव सराही जाती है ।
घर की बेजुबां होती
भावहीन रिश्तों की कहानी
यही दर्शाता है
बाकी सब बेमाने हैं
खोखले हैं ।
वाह .लाजवाब कविता. धन्यवाद
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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