उनके तसव्वुर में
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मुखर रही नैनों के दर्पण में
प्रेम की मौन अभिव्यंजना।
छुई- मुई हो जाती अंशुमाला
शीत के संदेशा में
कुछ ऐसा ही है हाल अपना
नव जीवन के अंदेशा में
सिमट जाता है तन अंक में
मन में होती जब नयी सर्जना।
भेजा है जज़्बातों की लड़ियाँ
हवाओं के सुरमयी संगीत में
बन जाए मेघों की माला गर
समझूँ , मैं आयी उनके तसव्वुर में
अब की जो आ जाओ प्रियवर
फिर न जाने की बात करना।
बड़े जतन से संजोया तुम्हें
हृदय की गहरी परतों में
पतंगा जाने जलने का सुख
क्या होता है दीपशिखा में
मिट कर भी नहीं मिटती फितरत
कैसी यह अविरल कामना !
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मुखर रही नैनों के दर्पण में
प्रेम की मौन अभिव्यंजना।
छुई- मुई हो जाती अंशुमाला
शीत के संदेशा में
कुछ ऐसा ही है हाल अपना
नव जीवन के अंदेशा में
सिमट जाता है तन अंक में
मन में होती जब नयी सर्जना।
भेजा है जज़्बातों की लड़ियाँ
हवाओं के सुरमयी संगीत में
बन जाए मेघों की माला गर
समझूँ , मैं आयी उनके तसव्वुर में
अब की जो आ जाओ प्रियवर
फिर न जाने की बात करना।
बड़े जतन से संजोया तुम्हें
हृदय की गहरी परतों में
पतंगा जाने जलने का सुख
क्या होता है दीपशिखा में
मिट कर भी नहीं मिटती फितरत
कैसी यह अविरल कामना !