बेटियाँ
उस घर आतीं भर - भर खुशियाँ
जिस घर खिलतीं फूल सी बेटियाँ
जहाँ गूँजती मासूम किलकारियाँ
वहाँ अवतरण को ललकती देवियाँ।
बाग़ की गुलाब है वो आँगन की तुलसी
चन्दन की खुशबू है वो सुन्दर तितली सी
बाबुल की प्यारी, होती माँ की गहना
मकान को घर बनाती ,ऐसी भाई की बहना ।
उस घर में चमकता भाग्य - सितारा
जिस घर की बेटियाँ हैं आँखों का तारा
कोने - कोने में लाती प्रभात उजियारा
पूजा की पुष्प है ,रोशन उनसे गलियारा ।
भोर की ओस है वो चाँद की किरण धवल
हवा का झोंका शीतल हर ऋतु मानिंद नवल
समय हो जब प्रतिकूल, वह बनती सुखद छाया
दुर्दिन होते अनुकूल ,जब बरसती सुलभ माया ।
उस घर में बहती स्नेह सरिता अनवरत
जिस घरमें पलती बेटियाँ पूत सी सतत
पतवार है नाव की वह , ना कंटक ना शूल
वह है सृष्टि ,सृजक वही ,ना रेत ना धूल ।