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Tuesday 18 December 2012


               बेटियाँ 
उस घर आतीं भर - भर खुशियाँ 
जिस घर खिलतीं  फूल सी बेटियाँ 
जहाँ गूँजती मासूम  किलकारियाँ
वहाँ अवतरण को ललकती  देवियाँ। 
बाग़ की गुलाब है वो आँगन की तुलसी 
चन्दन की खुशबू है वो सुन्दर तितली सी 
बाबुल की प्यारी, होती माँ की गहना 
मकान को घर बनाती ,ऐसी भाई की बहना ।
उस घर में चमकता भाग्य - सितारा 
जिस घर की बेटियाँ हैं आँखों का तारा
कोने - कोने में लाती प्रभात उजियारा 
पूजा की पुष्प है ,रोशन उनसे गलियारा ।
भोर की ओस है वो चाँद की किरण धवल 
हवा का झोंका शीतल हर ऋतु मानिंद नवल 
समय हो जब प्रतिकूल, वह बनती सुखद छाया 
दुर्दिन होते अनुकूल ,जब बरसती सुलभ माया ।
उस घर में बहती स्नेह सरिता अनवरत 
जिस घरमें पलती बेटियाँ पूत सी सतत 
पतवार है नाव की वह , ना कंटक ना शूल 
वह है सृष्टि ,सृजक वही ,ना रेत ना धूल ।

Thursday 13 December 2012


मुहब्बत :एक अहसास ,कई भाव 
         ( १)
मुहब्बत मेघ है 
पानी की बूंद डबडबाती है 
और बिन टपके 
आसमां को झील बना देती है 
वही झील जिसकी परछाई अक्सर 
मेरी आँखों में दिख जाती है ।
                  
           (२)
 मुहब्बत  बारिश है 
एक - एक बूंद हथेलियों से 
टकरा कर गिर जाती है 
उन्हें मुट्ठी में बंद करने की ललक में 
बदन तर - बतर हो जाता है 
पर ,अंजुरी खाली रह जाती है ।

           (३)
मुहब्बत लहर है 
वही उन्माद ,वही जुनून
उठना - गिरना और बिखरना 
फिर भी न बुझती  अगन  
साहिल मिलन की आस में 
दिन -रात संजोती लगन ।