मुहब्बत :एक अहसास ,कई भाव
( १)
मुहब्बत मेघ है
पानी की बूंद डबडबाती है
और बिन टपके
आसमां को झील बना देती है
वही झील जिसकी परछाई अक्सर
मेरी आँखों में दिख जाती है ।
(२)
मुहब्बत बारिश है
एक - एक बूंद हथेलियों से
टकरा कर गिर जाती है
उन्हें मुट्ठी में बंद करने की ललक में
बदन तर - बतर हो जाता है
पर ,अंजुरी खाली रह जाती है ।
(३)
मुहब्बत लहर है
वही उन्माद ,वही जुनून
उठना - गिरना और बिखरना
फिर भी न बुझती अगन
साहिल मिलन की आस में
दिन -रात संजोती लगन ।
और बिन टपके
ReplyDeleteआसमां को झील बना देती है
उन्हें मुट्ठी में बंद करने की ललक में
बदन तर - बतर हो जाता है
पर ,अंजुरी खाली रह जाती है ।
फिर भी न बुझती अगन
साहिल मिलन की आस में
दिन -रात संजोती लगन ।
waah sabhi shbd chitr sarthak aur purn hain ..badhaaii kavita vikas ji