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Monday, 5 November 2012


 दीवाली
तम का  नाश करने वाली
प्यार की ज्योत जलाने वाली
दीवाली है बड़ी अलबेली
रोशन करती दीपों की अवली ।
अमावस की रात होती काली
आसमाँ के पैबंद आज खाली
सितारों की चादर ओढ़े धरा
जगमग- जगमग करती वसुंधरा ।
दूकानें सज गयीं खील -बताशों की
आ रही सवारी लक्ष्मी - गणेश की
पटाखों की आवाज़ गूँजने लगी
पकवानों की खुशबू उड़ने लगी ।
भाषा - भूषा की दीवारें पाट कर
दीवाली मनाएँ हम गले मिलकर
हर दिल अज़ीज़ यह मतवाली
शुभ दीवाली की शोभा निराली ।
---------------द्वारा - कविता विकास

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