दीवाली
तम का
नाश करने वाली
प्यार की ज्योत
जलाने वाली
दीवाली है बड़ी
अलबेली
रोशन करती दीपों
की अवली ।
अमावस की रात होती
काली
आसमाँ के पैबंद आज
खाली
सितारों की चादर ओढ़े
धरा
जगमग- जगमग करती वसुंधरा
।
दूकानें सज गयीं खील
-बताशों की
आ रही सवारी लक्ष्मी
- गणेश की
पटाखों की आवाज़ गूँजने
लगी
पकवानों की खुशबू उड़ने
लगी ।
भाषा - भूषा की दीवारें
पाट कर
दीवाली मनाएँ हम गले
मिलकर
हर दिल अज़ीज़ यह मतवाली
शुभ दीवाली की शोभा
निराली ।
---------------द्वारा
- कविता विकास
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