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Monday, 4 February 2013


एक नया सवेरा रच देना 


रात की स्याही का एक कतरा 

दिन के उजाले को निगल जाए 
अधरों पर खिलती मासूम मुस्कान 
कुम्हला कर रुदन बन जाए 
झूठे आरोपों की तानाशाही में 
सात परतों में सच दफ़न हो जाए 
तब हाथ की लकीर बदल देना ,ईश्वर मेरे 
एक नया सवेरा रच देना ।
भीषण ताप की मार से फटी वसुधा 
अपने भाग्य कोसती ,अश्रुपूरित हो जाए 
सपनों के रेतीले टीले 
क्रुर हवाओं से भरभरा जाए 
अपनों के शब्दबाण से आहत 
ज़ख्म जब नासूर बन जाए 
तब एक शीतल मेघ बन जाना ,ईश्वर मेरे 
एक नया सवेरा रच देना ।
आँखों के खारे समंदर में
आशाएं डूबने -उतराने लग जाएँ 
ख्वाहिशों के थपेड़ों से घायल 
पोर - पोर में झनझनाहट भर जाए 
स्वार्थ की बुनियाद पर पलते रिश्तों 
और नजदीकियों में सर्द आहें भर जाएँ 
तब बृहद्बाहु साहिल बन जाना ,ईश्वर मेरे
एक नया सवेरा रच देना ।
अब जब मान लिया तुम्हे स्वाधार 
तो चंद साँसों का ज़खीरा उठाये 
अवरोधों के अग्निपथ पर चलते 
मौत को भी सजदा करते जाएँ 
न सुख में दम्भित ,न दुःख में विचलित 
लेशमात्र भी गर शिकन नज़र आये 
तब शीतल पवन का झोंका बन जाना ,ईश्वर मेरे 
एक नया सवेरा रच देना ।

5 comments:

  1. न सुख में दम्भित ,न दुःख में विचलित
    लेशमात्र भी गर शिकन नज़र आये
    तब शीतल पवन का झोंका बन जाना ,ईश्वर मेरे
    एक नया सवेरा रच देना ।

    अर्थपूर्ण स्तुति..... बेहतरीन कविता

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  2. एक नया सवेरा रच देना ,,,,,,,,, सुन्दर रचना !!

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  3. हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बधाई .बसंत पंचमी की अनंत शुभकामनाएँ

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  4. जब कभी सूर्य रास्ता भूलें ,
    खो जाएँ कहीं वीराने में ,
    तो चन्दा को ही आगे कर
    तुम नया सवेरा रच देना ..

    आशाएं न टूटें ..भोर अवश्य होगी !

    पुनश्च: this useless word verification should be remove immediately.

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  5. दुखों से लड़ने की सद् प्रार्थना करती अच्‍छी पंक्तियां।

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