एक नया सवेरा रच देना
रात की स्याही का एक कतरा
दिन के उजाले को निगल जाए
अधरों पर खिलती मासूम मुस्कान
कुम्हला कर रुदन बन जाए
झूठे आरोपों की तानाशाही में
सात परतों में सच दफ़न हो जाए
तब हाथ की लकीर बदल देना ,ईश्वर मेरे
एक नया सवेरा रच देना ।
भीषण ताप की मार से फटी वसुधा
अपने भाग्य कोसती ,अश्रुपूरित हो जाए
सपनों के रेतीले टीले
क्रुर हवाओं से भरभरा जाए
अपनों के शब्दबाण से आहत
ज़ख्म जब नासूर बन जाए
तब एक शीतल मेघ बन जाना ,ईश्वर मेरे
एक नया सवेरा रच देना ।
आँखों के खारे समंदर में
आशाएं डूबने -उतराने लग जाएँ
ख्वाहिशों के थपेड़ों से घायल
पोर - पोर में झनझनाहट भर जाए
स्वार्थ की बुनियाद पर पलते रिश्तों
और नजदीकियों में सर्द आहें भर जाएँ
तब बृहद्बाहु साहिल बन जाना ,ईश्वर मेरे
एक नया सवेरा रच देना ।
अब जब मान लिया तुम्हे स्वाधार
तो चंद साँसों का ज़खीरा उठाये
अवरोधों के अग्निपथ पर चलते
मौत को भी सजदा करते जाएँ
न सुख में दम्भित ,न दुःख में विचलित
लेशमात्र भी गर शिकन नज़र आये
तब शीतल पवन का झोंका बन जाना ,ईश्वर मेरे
एक नया सवेरा रच देना ।
न सुख में दम्भित ,न दुःख में विचलित
ReplyDeleteलेशमात्र भी गर शिकन नज़र आये
तब शीतल पवन का झोंका बन जाना ,ईश्वर मेरे
एक नया सवेरा रच देना ।
अर्थपूर्ण स्तुति..... बेहतरीन कविता
एक नया सवेरा रच देना ,,,,,,,,, सुन्दर रचना !!
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बधाई .बसंत पंचमी की अनंत शुभकामनाएँ
ReplyDeleteजब कभी सूर्य रास्ता भूलें ,
ReplyDeleteखो जाएँ कहीं वीराने में ,
तो चन्दा को ही आगे कर
तुम नया सवेरा रच देना ..
आशाएं न टूटें ..भोर अवश्य होगी !
पुनश्च: this useless word verification should be remove immediately.
दुखों से लड़ने की सद् प्रार्थना करती अच्छी पंक्तियां।
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