जल ही
जीवन है
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पहाड़ों से बहती
सलिला हो या
मेघ के बूंद
में समाहित सुधा
,जनसाधारण के लिए
यह केवल पानी
है ,एक ऐसा
तत्व जिसके बिना
जीवन असंभव है
।७९%भूभाग पर
जल है और
केवल २१%पर
आबादी ,फिर भी
पानी के अभाव
या दूषित पानी
से होने वाली
मौतें सर्वाधिक हैं
। भौगोलिक दृष्टिकोण
से हर महादेश
के पश्चिमी भाग
में मरुभूमि है
क्योंकि बादल यहाँ
तक पहुँचते - पहुँचते
अपनी नमी खो
बैठते हैं।भूगर्भिय स्रोत
भी कहीं - कहीं
हैं ।नदियों
का पानी एक
निश्चित जनसंख्या की कमी
पूरी करता है
।बढती आबादी और
वायुमंडल में बढ़ता
ताप उपयोग
में आने वाले
जल की कमी
का मुख्य कारण
है ।समय आ
गया है कि हम पानी
के महत्त्व को
पहचानें ।
हर व्यक्ति
का कर्तव्य है
अगर कहीं पानी
का दुरूपयोग देखे
या अनावश्यक रूप
से इसका बहाव
तो तुरंत स्थानीय
विभाग को सूचित
करे ।बाथरूम ,वाशबेसिन
आदि जगहों में
किफ़ायत से इसका
इस्तेमाल करे ।पाठ्यक्रम
में पानी के
महत्व पर पाठ
हों ।छोटी -छोटी
पहल से ही
बड़ी सफलता हासिल
होती है ।'जल ही
जीवन है 'तो
इस जीवन को
सहेजने का दायित्व
भी जीवधारियों को
ही है ।
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